ABHIJIT RANJAN

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समुन्द्र मंथन

समुद्र किनारे देवता पधारे है
देव और असुर आमने सामने है
मंथन के शंखनाद से!

सर्प की रस्सी से बंधकर
शुरू हो रहा है समुन्द्र मंथन
अब तोड़ सारे बंधन!

प्रकृति निहारे समुन्द्र किनारे
किसे मिलेगा अमृत का घड़ा?

मंथन से निकला विष का घड़ा
शिव जी ने अपने मुख में भरा!

मंथन से निकल अाई अप्सरा
देव और आसुर हुए अचंभा
समुन्द्र से निकली है रम्भा!

मंथन से निकली है धन की देवी
देव और अासुर हुए है लोभी
समुन्द्र से प्रकट हुई माता लक्ष्मी!

मंथन से निकला है वारिनी
आसुरों के हाथ में लगा है अधीरा
समुन्द्र से निकला है मदिरा!

मंथन से निकला है वाद्ययंत्र
देवताओं को मिला है समृद्धि और शांति
समुन्द्र से उत्पन्न हुआ है विष्णु शंख!

मंथन से निकले है धनवंतरी
चारों तरफ फैला है प्रकाश
समुन्द्र से निकला है स्वर्णकलश!

मंथन से निकला है अमरता का कलश
देव और असुर हुए व्याकुल
समुन्द्र से प्रकट हुआ है अमृत।।
                                   अभिजीत रंजन
                                  बलिया,उत्तरप्रदेश
                                   8299122106


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4 Comments

Aliya khan

20-Feb-2021 02:09 PM

Nice

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ABHIJIT RANJAN

21-Feb-2021 06:06 PM

जी बहुत बहुत आभार आदरणीय

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Sahil writer

20-Feb-2021 12:15 PM

Nice bhai acha likhte h ab khoob ese hi likhte rhe mujhe bhi follow or like kare

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ABHIJIT RANJAN

21-Feb-2021 06:06 PM

जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका आभार

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